बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी आज स्वर्गीय लखीराम अग्रवाल सभागृह, बिलासपुर में एकजुट होकर अपने हक और सम्मान की आवाज बुलंद करेंगे। “हक की आवाज, एकजुटता का संकल्प” थीम के साथ होने जा रहा यह राज्य स्तरीय महासम्मेलन प्रदेशभर के 33 जिलों से आए हजारों कर्मचारियों की मौजूदगी में एक ऐतिहासिक रूप लेने जा रहा है।
माननीयों को सौंपेंगे अपनी मांगें
महासम्मेलन में छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह, सुशांत शुक्ला समेत कई विधायकों और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। संविदा कर्मचारी मंच से अपनी पुरानी और गंभीर मांगों को रखते हुए उनके समाधान की उम्मीद करेंगे।
एक दिन का सामूहिक अवकाश, एक मंच पर तमाम वर्ग
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महासम्मेलन में डॉक्टर, प्रबंधकीय वर्ग, ग्रामीण स्वास्थ्य सहायक, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स, एएनएम, डाटा एंट्री ऑपरेटर और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। रायगढ़ जिले के मातृत्व शिशु स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स व एएनएम ने मानवता दिखाते हुए सीमित उपस्थिति के साथ सेवाएं सुनिश्चित करने की पहल की है।
मांगें जो वर्षों से अनसुनी रहीं
शासकीयकरण, ग्रेड पे निर्धारण, सेवा पुस्तिका, चिकित्सा सुविधा, अनुकंपा नियुक्ति, ग्रेच्युटी, 27% वेतन वृद्धि, विशिष्ट वेतन, और गोपनीय रिपोर्ट (CR) जैसी मांगें सम्मेलन की प्रमुख चर्चा रहेंगी। कर्मचारियों का कहना है कि अब आश्वासन नहीं, ठोस निर्णय चाहिए।
20 वर्षों की सेवा, अब भी अस्थायित्व
NHM की स्थापना 2005 में हुई थी और अब 20 वर्षों के बाद भी संविदा कर्मियों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। कोविड-19 जैसी महामारी में मोर्चा संभालने वाले इन कर्मियों को आज भी स्थायित्व और आर्थिक सुरक्षा का इंतजार है।
सम्मेलन की अगुवाई में संगठन के समर्पित चेहरे
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी के नेतृत्व में कौशलेश तिवारी, श्याम मोहन दुबे, हेमंत सिन्हा, डॉ. रविशंकर दीक्षित और पूरन दास जैसे नेता कार्यक्रम को दिशा दे रहे हैं। बिलासपुर जिले के NHM कर्मचारी सभी जिलों से आए प्रतिनिधियों का स्वागत कर रहे हैं।
एकजुटता की मिसाल, शासन से निर्णायक फैसले की अपेक्षा
संविधान की छाया में आयोजित यह सम्मेलन न केवल कर्मचारियों की एकजुटता का प्रतीक है, बल्कि शासन को यह स्पष्ट संदेश भी देगा कि अब देरी नहीं, निर्णय चाहिए। कर्मचारियों ने सरकार से कमेटियों के बजाय ठोस फैसलों की मांग की है।
संघ की अपील: यह केवल आयोजन नहीं, न्याय की पुकार है
संघ ने जनता, जनप्रतिनिधियों और शासन से अपील की है कि इस महासम्मेलन को सिर्फ एक इवेंट न समझें, बल्कि इसे छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य भविष्य से जोड़कर देखें। स्थायित्व और सम्मान संविदा कर्मचारियों का हक है, और यही राज्य की स्वस्थ नींव है।