रायपुर 03 जनवरी 2025/ छत्तीसगढ़ राज्य में अनेक पर्यटन स्थलों में से एक जिला मुख्यालय धमतरी से 55 किलोमीटर की दूर पर स्थित ग्राम जबर्रा लोगों को अपनी ओर बरबस आकर्षित करता है। शांत घने जंगल के बीच पहाड़ में ट्रेकिंग का मजा, कलकल बहती नदी के किनारे सैर, सुकुन के पल बिताने रेस्ट हाउस, वन औषधियों से उपचार का तरीका बताने वैद्य, पर्वतों की सैरगाह का आनंद देने गाइड, आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाने लोगों का समूह और आदिवासी व्यंजनों की मिठास, यह सब कुछ शहर के कोलाहल से दूर वनांचल नगरी विकासखण्ड के जबर्रा में है। इसे प्रशासन के द्वारा ईको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया गया है। जबर्रा का रोमांच दुगली से जबर्रा का 13 किलोमीटर का रास्ता पकड़ने के साथ ही शुरू हो जाता है। घने जंगलों के बीच बसा जबर्रा जंगल 5352 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जहां 300 से अधिक प्रकार की वनौषधि है।
ईको फ्रेंडली टूरिज्म पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना पर्यटन का विकास करना है। प्रशासन द्वारा यहां के स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ दिया गया है। जबर्रा में खास बात यह है कि प्रकृति का सान्निध्य लेने ना केवल देश के बल्कि विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं। यहां दिल्ली, पुणे, बेंगलुरू, नागपुर, रायपुर, राजस्थान सहित नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, पोलैंड, जापान, लंदन और श्रीलंका से विदेशी पर्यटक आते हैं। जबर्रा में पर्यटकों की सुविधा के लिए 20 सदस्यों का समूह बना है, जिन्हें प्रशिक्षण दिया गया और इन युवाओं को जबर्रा हिलर्स नाम से जाना जाता है। इन युवाओं द्वारा जबर्रा पहुंचने वाले पर्यटकों को ना केवल ठहरने, खाने और गाईड की व्यवस्था किया जाता है, बल्कि पर्यटकों का जोर-शोर से स्वागत भी किया जाता है। देशी-विदेशी पर्यटकों को जबर्रा के पर्वत, नदी की सैर कराने के साथ ही वनौषधि की जानकारी भी दी जाती है। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने से उनके आय का जरिया तो बना ही है, बल्कि पर्यटकों को सुविधा भी मिल रही है।