खरसिया :- 16/07/2025
विधानसभा चुनाव के दौरान खरसिया में विकास की गंगा बहाने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के डेढ़ वर्ष पूरे होने के बाद भी खरसिया में विकास के नाम पर कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है। सबसे गंभीर मामला खरसिया रेलवे ओवरब्रिज से जुड़ा है, जो अब सियासी रस्साकशी में उलझ कर रह गया है।
खरसिया का आधा हिस्सा और सभी प्रमुख शासकीय कार्यालय रेलवे फाटक के उस पार स्थित हैं। शासकीय अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, बाज़ार और दैनिक जीवन की जरूरी सेवाएं इस पार हैं। ऐसे में रेलवे फाटक पर प्रतिदिन जाम की स्थिति बनी रहती है, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानी होती है।
पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक उमेश पटेल ने विधानसभा में ओवरब्रिज का मुद्दा उठाया था, जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि यह कार्य फिलहाल वित्त विभाग में लंबित है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी हैं।
अंडरब्रिज बना तो ओवरब्रिज रद्द? उठने लगे सवाल
- Advertisement -
अब स्थिति यह बन गई है कि रेलवे द्वारा प्रस्तावित अंडरब्रिज के कारण ओवरब्रिज निर्माण पर प्रश्नचिह्न लग गया है। प्रस्तावित अंडरब्रिज स्थल की सड़क दोनों ओर से बेहद संकरी है, जहां एक साथ दो कारें निकलना भी कठिन होगा। ऐसे में सड़क चौड़ीकरण हेतु भूमि अधिग्रहण आवश्यक है, जो फिलहाल नहीं किया गया है।
सवाल यह है कि यदि अंडरब्रिज बनाया जाता है, तो क्या ओवरब्रिज की योजना रद्द कर दी जाएगी? यह प्रश्न न केवल तकनीकी, बल्कि राजनीतिक बहस का विषय बन गया है।
सियासी वजह से विकास कार्य पर ब्रेक?
चर्चाएं हैं कि खरसिया विधानसभा सीट पर चुनाव हारने के बाद सत्ताधारी दल ने इस क्षेत्र से दूरी बना ली है, जिससे खरसिया में विकास कार्य ठप हैं। ओवरब्रिज भी उन्हीं कार्यों में शामिल है जो अब तक अधर में लटके हैं।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधायक उमेश पटेल की मांग पर तत्काल ओवरब्रिज को स्वीकृति दी थी। करीब 64 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस ओवरब्रिज के लिए प्रभावितों को 7 करोड़ रुपये का मुआवजा भी वितरित किया जा चुका है। इस कार्य के तीन बार टेंडर हो चुके थे और कार्य आरंभ होने ही वाला था कि आचार संहिता लागू हो गई और प्रक्रिया रुक गई।
बाद में 10 दिसंबर 2024 को भाजपा सरकार बनी और 20 दिसंबर को वित्त विभाग द्वारा इस योजना को लंबित कर दिया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ओवरब्रिज की जगह अब अंडरब्रिज बनाया गया तो इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी होगी, बल्कि ओवरब्रिज निर्माण में खर्च हुई प्रशासनिक और वित्तीय प्रक्रिया भी व्यर्थ हो जाएगी।
विकास कार्य या सियासी डर का शिकार?
आशंका जताई जा रही है कि सरकार जानबूझकर ओवरब्रिज निर्माण को रोक रही है ताकि इसका श्रेय पूर्व मंत्री उमेश पटेल या कांग्रेस को न मिल जाए। इसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण खरसिया रेलवे ओवरब्रिज भी सियासत की भेंट चढ़ गया है।
कभी प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदु रही खरसिया विधानसभा, जहां लखीराम अग्रवाल और नंदकुमार पटेल जैसे महान नेता पैदा हुए, आज उपेक्षा का शिकार है।
वर्जन
“आम जनता को हो रही समस्याओं को देखते हुए किसी प्रकार की राजनीति ना करते हुए ओवरब्रिज का जल्द से जल्द निर्माण करवाया जाना चाहिए।”
— उमेश पटेल, पूर्व मंत्री, खरसिया विधायक
“जिले के मंत्री को खरसिया की जनता से कोई लेना देना नहीं है। रेलवे फाटक में फंसकर गर्भवती महिला की जान खतरे में पड़े या स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में देर हो — उन्हें तो अपनी राजनीतिक वैमनस्यता निकालनी है।”
— राधा सुनील शर्मा, पूर्व नपा अध्यक्ष
“कुछ त्रुटियां आई हुई हैं, उनको दूर कर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ किया जाएगा।”
— महेश साहू, छाया विधायक