बेमेतरा 05 दिसम्बर 2024:- कलेक्टर श्री रणबीर शर्मा द्वारा आज कलेक्टरेट कक्ष मे लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत फास्ट ट्रैक विशेष अदालत के लंबित मामलों का निपटारा सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय निगरानी निगरानी समिति की बैठक आयोजित की |
बैठक मे बलात्कार एवं पाक्सो अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई हेतु गठित फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों में मामलों का निपटान सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर मामलों की निगरानी हेतु गठित जिला स्तरीय निगरानी समिति बैठक में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों बेमेतरा में दर्ज हो रहे मामलों एवं निपटाये गये मामलों की समीक्षा की गयी | समिति द्वारा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 35 में उल्लेखित प्रावधानानुसार बालक का साक्ष्य, विशेष न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान किये जाने के 30 दिन के भीतर अभिलिखित कराया जावे। विलंब होने की दशा में विलंब का कारण स्पष्ट करते हुये, अपराध का संज्ञान लिये जाने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर विचारण पूरा कराये जाने का प्रयास किया जाने के निर्देश दिए । जिन मामलों में बालक या अन्य किसी का साक्ष्य, विचारण न्यायालय से भिन्न किसी स्थान पर कराये जाने आवश्यकता है वहां दं.प्र.सं. की धारा 284/319 भारतीय नागरिक सूरक्षा संहिता के प्रावधानानुसार कमीशन के माध्यम से कथन / बयान कराने का अनुरोध, माननीय विशेष न्यायालय से किया जावे। वर्तमान में अभियुक्त कि उपस्थिति हेतू निरंक प्रकरण लंबित है। भविष्य में अभियुक्त की उपस्थिति हेतु लंबित प्रकरणों में अभियुक्त को उपस्थिति कराने का समुचित अवसर पश्चात उन्हे फरार घोषित कराते हुये आवश्यक विधिक कार्यवाही कराया जाना सुनिश्चित किया जावे। जिन मामलो में डी.एन.ए. रिपोर्ट/एफ.एस.एल. रिपोर्ट या अन्य रिपोर्ट जिसे माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र के साथ प्रस्तुत नहीं किया गया है, उसे बुलवाये जाने के लिये माननीय न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराते हुये धारा 91,242(2) द.प्र.सं. के तहत आवेदन पेश किया जाकर प्राप्त करने का प्रयास किया जावे। डेढ़ वर्ष से अधिक अवधि में विचारण हेतु लंबित मामलों को चिन्हांकित करें तथा ऐसे मामलों को प्रतिदिन सुनवाई हेतु रखे जाने का निवेदन माननीय न्यायालय से किया जावे और उन मामलों में गवाही की उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु विशेष प्रयास किया जावे। माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण हेतु लंबित प्रत्येक प्रकरण की स्पष्ट जानकारी समिति की बैठक के पूर्व प्रत्येक माह निर्धारित समयावधि में उपलब्ध करावे। जिन मामलों में अंतिम तर्क हेतु नियत है उनमें निर्धारित तिथि को अंतिम तर्क किया जावेगा एवं जिन मामलों में बचाव साक्ष्य हेतु नियत है, उनमें बचाव साक्ष्य की कार्यवाही भी निर्धारित तिथि को पूर्ण कराने का प्रयास किया जावे। अधिकतम मामलों में माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय दोषमुक्त दिया गया है दोषमुक्त प्रकरणों का प्रमुख कारण प्रार्थी / पिडिता एवं गवाहों के पक्षद्रोही होना है। तत संबध में विधिक कार्यवाही करने निर्देश दिए गए है |