रायगढ़ :- जिलेभर में आवारा पशुओं का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। सड़कों पर झुंड के झुंड घूमते बैल, गाय और सांड़ आमजन की जिंदगी के लिए खतरा बने हुए हैं। हालत यह है कि हर दिन कहीं-न-कहीं दुर्घटनाएँ घट रही हैं, कई लोग घायल हो चुके हैं, कईओं की जान भी जा चुकी है। यही नहीं, किसानों और पशुपालकों का भी भारी नुकसान हो रहा है। पशु-धन की हानि और फसलों की बर्बादी अब आम बात बन गई है।
शहर की गलियों से लेकर मुख्य मार्गों तक, इन आवारा पशुओं ने कब्ज़ा कर लिया है। सड़क पर चलते दोपहिया वाहन अक्सर इनके हमले का शिकार हो जाते हैं। कई मामलों में पशुओं की टक्कर से गंभीर हादसे हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है—बैल और सांड़ खेतों में घुसकर फसलें चौपट कर रहे हैं। किसानों ने खून-पसीना बहाकर जो बोया, वह देखते ही देखते आवारा पशुओं का निवाला बन जाता है।
लोगों का गुस्सा शासन,प्रशासन पर फूट रहा है। नागरिकों का कहना है कि वर्षों से आवारा पशुओं की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। न तो नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत इन्हें पकड़ने की ठोस व्यवस्था की, न ही जिला प्रशासन ने कोई स्थायी योजना बनाई। केवल बैठकों और कागज़ी घोड़ों पर दौड़ती योजनाओं से जनता का दुःख कम नहीं हो रहा।
आवारा पशुओं की आपसी लड़ाई में कई बार पशु-धन की भी हानि हो रही है। पालित गाय-बैल चोटिल हो जाते हैं, कई की मौत भी हो जाती है। इससे गरीब पशुपालकों पर डबल मार पड़ रही है—एक तरफ आवारा झुंड का आतंक, दूसरी तरफ अपने पशुओं का नुकसान।
अब सवाल उठता है कि आखिर कब रुकेगा आवारा पशुओं का आतंक?कब शासन,प्रशासन नींद से जागेगा और कब जनता को राहत मिलेगी?जन-धन, पशु-धन और फसलों का यह नुकसान आखिर कब तक झेलना पड़ेगा?

