रायगढ़ :- जिले के तमनार तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत आमगांव के ग्रामीणों ने गारे पेलमा सेक्टर-1 ओपनकास्ट कम अन्डरग्राउण्ड कोल माइंस की स्थापना का विरोध करते हुए आगामी 14 अक्टूबर 2025 को ग्राम धौराभांठा में आयोजित होने वाली पर्यावरणीय स्वीकृति संबंधी लोकसुनवाई को निरस्त करने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि इस परियोजना से उनकी कृषि भूमि, वनभूमि और शासकीय भूमि प्रभावित होगी, जिससे न केवल उनकी आजीविका छिनेगी बल्कि क्षेत्र का पर्यावरण भी गंभीर खतरे में पड़ जाएगा।
ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर, क्षेत्रीय अधिकारी (छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल), अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार तमनार को ज्ञापन सौंपकर कहा है कि गांव के लोगों की जमीन जिंदल पावर लिमिटेड को दिए जाने का प्रस्ताव है। यह निर्णय न केवल ग्रामवासियों के भविष्य के लिए घातक है, बल्कि पूरे इलाके की जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों को भी नुकसान पहुँचाएगा।
ग्राम सभा में लिया गया सर्वसम्मति निर्णय
आमगांव ग्राम पंचायत में हाल ही में आयोजित ग्राम सभा में किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया कि ग्राम की किसी भी प्रकार की भूमि—चाहे निजी, शासकीय या वनभूमि—को कंपनी को नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि यह परियोजना आने वाली पीढ़ियों को संकट में डालेगी और क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को पूरी तरह से बिगाड़ देगी।
“पर्यावरण और खेती दोनों बचाना जरूरी”
ग्रामीणों का कहना है कि उनका मुख्य आधार कृषि और जंगल है। यदि भूमि कंपनी को सौंप दी जाती है तो न केवल उनका रोजगार और जीवनयापन का साधन छिन जाएगा बल्कि जलस्रोत और वनों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। ग्रामीणों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि गांव और क्षेत्र के हितों को ध्यान में रखते हुए लोकसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाए।
ग्रामीणों का कड़ा विरोध जारी
ग्रामवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगों को अनसुना किया तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उनका कहना है कि सरकार को जनता की आवाज सुननी चाहिए और विकास योजनाओं के नाम पर पर्यावरण और खेती-किसानी को बलि चढ़ाने से बचना चाहिए।

