राबर्टसन रेलवे साइडिंग तक की सड़क को नया बनाने की मांग, कोयला ट्रकों की आवाजाही पर लगाई जाएगी रोक
राबर्टसन (खरसिया)।खरसिया ब्लॉक के भालूनारा से राबर्टसन रेलवे साइडिंग तक की सड़क की बदहाली को लेकर अब स्थानीय ग्रामीणों का सब्र जवाब दे चुका है। आए दिन इस जर्जर सड़क पर दुर्घटनाएं हो रही हैं, स्कूली बच्चों और आम राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों ने अब इस मुद्दे पर अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण आंदोलन की घोषणा की है, जो 9 जून (सोमवार) सुबह 9:30 बजे से ग्राम नवागांव के पास शुरू किया जाएगा। आंदोलन के तहत केवल कोयला ट्रकों की आवाजाही को रोका जाएगा, जबकि आम जनता के लिए रास्ता खुला रहेगा।
सड़क की हालत बेहद खराब, जानलेवा गड्ढों से भरा मार्ग
ग्राम भालूनारा से नवागांव, पामगढ़ चौक, छोटेडूमरपाली, बड़ेडूमरपाली और अंबेडकरनगर होते हुए राबर्टसन रेलवे स्टेशन तक जाने वाली यह सड़क न केवल स्थानीय गांवों को जोड़ती है बल्कि आवागमन का मुख्य मार्ग भी है। इस सड़क पर अडानी कंपनी के ट्रांसपोर्टर के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों कोयला ट्रक आवाजाही करते हैं, जिससे सड़क की हालत और अधिक खराब हो चुकी है।
गर्मियों में धूल और बरसात में कीचड़ से यह रास्ता जानलेवा हो चुका है। स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, मरीज और दैनिक यात्री इस सड़क से गुजरते समय असहाय महसूस करते हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यह मार्ग अब आवागमन योग्य नहीं रहा है।
कोई पहल नहीं कर रही कंपनी, ग्रामीणों में नाराजगी
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि अडानी कंपनी द्वारा कोयला ढुलाई के लिए और भाटिया एनर्जी एंड मिनरल्स के द्वारा इस सड़क का तो भारी मात्रा में उपयोग किया जा रहा है, लेकिन सड़क की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए कोई पहल नहीं की जा रही। बार-बार शिकायत करने और अनुरोध के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी केवल मुनाफा कमाने में लगी है, जबकि सड़क की बदहाली से ग्रामीणों का जीवन संकट में पड़ गया है। अब लोग मजबूरी में आंदोलन करने को बाध्य हो गए हैं।
9 जून से शांतिपूर्ण आंदोलन, ट्रकों को रोका जाएगा
सड़क के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर 9 जून से ग्राम नवागांव के पास अनिश्चितकालीन शांतिपूर्ण आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। इस आंदोलन में केवल कोयला ट्रकों को रोका जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन में भालूनारा, नवागांव, पामगढ़ चौक, छोटेडूमरपाली, बड़ेडूमरपाली, अंबेडकरनगर समेत दर्जनों गांवों के लोग हिस्सा लेंगे। ग्रामीणों ने क्षेत्र के सभी लोगों से आंदोलन स्थल पर पहुंचकर समर्थन करने की अपील की है।
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प्रशासन और कंपनी पर दबाव बनाने की रणनीति
ग्रामीणों का कहना है कि उनका यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से किया जाएगा। उनका उद्देश्य केवल प्रशासन और आड़ानी कंपनी पर दबाव बनाना है ताकि सड़क का निर्माण शीघ्र शुरू हो सके।आंदोलनकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि मांगों को अनदेखा किया गया, तो आंदोलन को और अधिक व्यापक बनाया जाएगा।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल
इस पूरे मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी ग्रामीणों को खल रही है। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेता अब जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ रहे हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो आने वाले चुनावों में वे अपना जवाब जरूर देंगे।
ग्रामीणों की एकजुटता बनी आंदोलन की ताकत
इस आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत है गांवों की एकजुटता। सभी प्रभावित गांवों के लोग मिलकर एक साझा मंच पर आ रहे हैं। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सभी में इस मुद्दे को लेकर भारी रोष है। लोग अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।
ग्रामीणों का यह आंदोलन केवल सड़क के लिए नहीं, बल्कि अपने अधिकारों के लिए है। यह आवाज एक सच्ची ज़मीन की आवाज़ है, जिसे अब नजरअंदाज करना प्रशासन और कंपनियों के लिए मुश्किल होगा। देखना यह होगा कि 9 जून से शुरू होने वाला यह आंदोलन कितनी जल्दी प्रशासन को नींद से जगाता है।