रायगढ़ (छत्तीसगढ़)। जिले में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी और सिलिकोसिस जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के इलाज और स्वास्थ्य लाभ के लिए जन चेतना रायगढ़ संस्था द्वारा लगातार सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में हाल ही में दो गंभीर रूप से पीड़ित बच्चों को बंगलुरु के बीबीएच (BBH) एवं Synapse Neuro Center हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया गया।
इलाज के लिए बेंगलुरु पहुंचे दो बच्चे
- ऋषभ हंसराज, पिता हेमंत हंसराज, रायगढ़
- सालोंम अहिरवार, पिता श्यामलाल अहीरवार, ग्राम पंचायत सुपा, पुसौर, रायगढ़
इन दोनों बच्चों को जन चेतना रायगढ़ के सहयोग से बंगलुरु लाया गया, जहां उनका इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है।
पहले भी वेल्लोर में हो चुका है इलाज का प्रयास
साल 2024 में भी जन चेतना रायगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी द्वारा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से ग्रसित बच्चों को इलाज हेतु CMC हॉस्पिटल, वेल्लोर ले जाया गया था। संस्था द्वारा समय-समय पर ऐसे बच्चों के इलाज हेतु सहायता की जाती रही है।
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16 करोड़ के इलाज से स्वस्थ हुआ बच्चा
SMA (स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी) से पीड़ित छायकं नायक, पिता नरेंद्र नायक, ग्राम पंचायत तुरंगा (पुसौर), का इलाज नानावटी अस्पताल, मुंबई में किया गया, जिसकी लागत लगभग 16 करोड़ रुपये रही। अब बच्चा पहले से काफी स्वस्थ है। यह उपलब्धि भी जन चेतना रायगढ़ के प्रयासों से संभव हो सकी।
सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए भी चला अभियान
जन चेतना रायगढ़ ने 2015 में डॉ. मुरलीधरन के सहयोग से ग्राम पंचायत सराईपाली, तमनार में सिलिकोसिस रोगियों की पहचान हेतु शिविर आयोजित किया था। 24 मरीजों की पहचान कर उनका इलाज रायगढ़ और रायपुर के मेडिकल कॉलेज में कराया गया। साथ ही मृत रोगियों के परिवारों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 3-3 लाख रुपये का मुआवजा भी दिलाया गया।
संस्था की प्रमुख भूमिका और सहयोग की अपेक्षा
जन चेतना रायगढ़ संस्था स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य सुरक्षा, वनाधिकार, पर्यावरण संरक्षण, सूचना का अधिकार, पेसा कानून और ग्राम सभा सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर सक्रिय है। संस्था के प्रमुख कार्यकर्ता—पद्मनाभ प्रधान, सविता रथ, राजेश गुप्ता, शिव पटेल, भोजमती राठिया—लगातार समाज के अंतिम व्यक्ति तक सहायता पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
जन चेतना रायगढ़ मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता से ऐसे मानवीय प्रयासों में सहयोग की अपेक्षा करती है, ताकि कोई भी ज़रूरतमंद इलाज से वंचित न रहे।