रायगढ़ :- (छत्तीसगढ़) – तमनार तहसील के मुड़ागांव स्थित महाजेंको कोल ब्लॉक में आदिवासी भूमि पर हो रही पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर अडानी इंटरप्राइजेस को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने रायगढ़ के कलेक्टर एवं जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा है कि अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की राजस्व और संरक्षित वन भूमि पर वनों की कटाई किसकी अनुमति से की गई है।
यह नोटिस अमृतलाल भगत और मुड़ागांव के ग्रामीणों की ओर से दर्ज की गई शिकायत के आधार पर जारी किया गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह द्वारा बिना ग्राम सभा की अनुमति के, राजस्व और संरक्षित वन क्षेत्र में हजारों की संख्या में हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई की गई है।
आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 338 क के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए इस मामले की जांच का निर्णय लिया है। कलेक्टर को निर्देश दिया गया है कि वे नोटिस प्राप्त होने के 15 दिवस के भीतर की गई कार्रवाई का विस्तृत विवरण आयोग को प्रस्तुत करें, अन्यथा आयोग उन्हें तलब कर सकता है।
ग्रामीणों का आरोप है कि अडानी समूह द्वारा फर्जी ग्राम सभा की कार्यवाही दर्शाकर प्रशासन और पुलिस बल का सहारा लेते हुए बलपूर्वक पेड़ों की कटाई कराई गई। उनका कहना है कि शासन-प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी, जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का दरवाजा खटखटाया।
ज्ञात हो कि अडानी को महाजेंको कोल ब्लॉक में कोयला उत्पादन का कार्य सौंपा गया है, जिसके लिए वह क्षेत्र को जल्द से जल्द खाली कराकर खनन कार्य शुरू करना चाहता है। इस उद्देश्य से पहले चरण में जंगल की सफाई की जा रही थी।
लेकिन अब आयोग के इस सख्त रुख ने अडानी ग्रुप की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। संविधान के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई भी औद्योगिक या खनन कार्य वैध नहीं माना जाता, ऐसे में यह मामला अडानी के लिए कानूनी और जनआंदोलन दोनों स्तर पर चुनौती बन सकता है।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन आयोग के नोटिस का क्या जवाब देता है और अडानी ग्रुप इस संकट से कैसे निपटता है। फिलहाल आदिवासी क्षेत्र में अडानी के खनन कार्यों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

