घरघोड़ा।मुख्य मार्ग पर बेजा कब्जा हटाने के आदेश के बाद उत्पन्न विवाद ने मंगलवार को घरघोड़ा में तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी। एसडीएम द्वारा बेजा कब्जाधारी दुकानदारों को बाजार पसरा में स्थानांतरित करने के मौखिक निर्देश दिए गए थे, लेकिन मंगलवार को जब ये दुकानदार अपनी दुकानें लेकर बाजार पसरा पहुंचे, तो वहां पहले से दुकान लगाने वाले साप्ताहिक बाजार के व्यापारियों ने विरोध जताया। इससे विवाद की स्थिति बन गई।हालात को संभालने के लिए न तो एसडीएम और न ही नगर पंचायत सीएमओ मौके पर पहुंचे। केवल नगर पंचायत के कुछ कर्मचारी व्यापारियों को समझाने की कोशिश करते दिखे, लेकिन यह प्रयास असफल रहा। परिणामस्वरूप, एसडीएम के निर्देशों के बावजूद बेजा कब्जाधारी दुकानदार अपनी दुकानें बाजार पसरा में स्थापित नहीं कर सके। व्यापारियों के बीच इस फैसले से आक्रोश व्याप्त है, और प्रशासन इस मामले का समाधान निकालने में असमर्थ नजर आ रहा है।व्यापारियों में बढ़ रहा असंतोषव्यापारियों का कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी तैयारी और उचित योजना के मौखिक निर्देश देकर उन्हें परेशान किया है। साप्ताहिक बाजार के व्यापारियों ने आरोप लगाया कि बाजार पसरा पर पहले से दुकान लगाने वालों को हटाकर किसी अन्य को जगह देने से विवाद उत्पन्न हो रहा है।नगर पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने प्रशासन पर लगाए आरोपनगर पंचायत अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह चौधरी ने इस विवाद पर कहा, “घरघोड़ा बाजार पसरा का किसी प्रकार का अलॉट नहीं किया गया है। एसडीएम और सीएमओ अपनी मनमानी कर रहे हैं।” उन्होंने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि व्यापारियों को बिना किसी उचित योजना के परेशान किया जा रहा है।नगर पंचायत उपाध्यक्ष उस्मान बेग ने भी प्रशासन की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “स्वेच्छाचारिता” करार दिया। उन्होंने कहा, “अधिकारियों ने व्यापारियों को आपस में लड़ाने का काम किया है। जिस पसरा पर पहले से दुकानें लग रही हैं, उसे मौखिक रूप से किसी अन्य को दे देने से केवल विवाद की स्थिति बनेगी।”फिलहाल नजर नही आ रहा कोई समाधानमौजूदा स्थिति में न तो बेजा कब्जाधारी दुकानदारों की समस्या का समाधान हुआ है और न ही साप्ताहिक बाजार के व्यापारियों को राहत मिली है। प्रशासन की ओर से विवाद के निपटारे के लिए कोई ठोस कदम उठता नहीं दिख रहा, जिससे व्यापारियों में गहरा असंतोष है।
घरघोड़ा बाजार पसरा का कोई अलॉट नहीं हुआ, एसडीएम और सीएमओ कर रहे मनमानी” – सुरेंद्र सिंह चौधरी
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