धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनूठा संगम
बरमकेला। श्री कृष्ण जन्माष्टमी, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक , भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है। यह दिन उत्साह, भक्ति, और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रतीक है।
मीत डिजिटल एंड स्मार्ट स्कूल, लोधिया बरमकेला ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्कूल में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने अपनी कला, संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का प्रदर्शन किया।
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जन्माष्टमी के इस विशेष आयोजन के लिए स्कूल को भव्य रूप से सजाया गया। प्रवेश द्वार से लेकर सभा स्थल तक, हर जगह रंग-बिरंगे फूलों, दीयों और पारंपरिक सजावट से सजाया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना से हुई। स्कूल के प्रधानाचार्य, शिक्षक और विद्यार्थियों ने मिलकर भगवान कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्वलित किया और भक्ति गीतों का गायन किया। इस प्रारंभिक अनुष्ठान ने पूरे आयोजन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
झांकी: भगवान कृष्ण की लीलाओं का अद्भुत चित्रण
जन्माष्टमी के उत्सव का मुख्य आकर्षण भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की झांकी थी। बच्चों ने कृष्ण, राधा, बलराम, यशोदा माता, और अन्य प्रमुख पात्रों का रूप धारण कर भगवान कृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। भगवान कृष्ण के जन्म, माखन चोरी, गोवर्धन पर्वत उठाने और कंस वध जैसी लीलाओं को झांकी के माध्यम से दिखाया गया।
इस झांकी में छोटे बच्चों ने भगवान कृष्ण के बाल रूप को बेहद खूबसूरती से प्रदर्शित किया, जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। झांकी के माध्यम से नंदगांव, वृंदावन और मथुरा की पारंपरिक जीवनशैली को भी दर्शाया गया,
जिससे बच्चों को अपने सांस्कृतिक इतिहास से जुड़ने का अवसर मिला। छात्रों ने अपने अभिनय और प्रस्तुतिकरण के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं को सजीव किया और दर्शकों को एक भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया।
डांडिया नृत्य: राधा-कृष्ण के प्रेम की झलक
डांडिया नृत्य, जो राधा और कृष्ण के प्रेम और आनंद को दर्शाता है, इस उत्सव का एक और प्रमुख आकर्षण था। छात्रों ने पारंपरिक गुजराती परिधान में सजकर डांडिया नृत्य प्रस्तुत किया। संगीत की मधुर धुनों पर थिरकते हुए बच्चों ने इस नृत्य के माध्यम से राधा-कृष्ण के प्रेम की गहराई को दर्शाया।डांडिया नृत्य के दौरान, छात्रों ने अपने नृत्य कौशल, ताल और लय का शानदार प्रदर्शन किया। इस नृत्य के जरिए उन्होंने दर्शकों को गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराया। पूरे आयोजन के दौरान, बच्चों के चेहरे पर आई मुस्कान और उनका उत्साह देखने लायक था। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस नृत्य को सराहा और बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा की।
कंस-कृष्ण वध: धार्मिक कथा का जीवंत चित्रण
भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक, कंस वध, को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया गया। यह नाट्य प्रस्तुति भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत साहस और सत्य की जीत का प्रतीक है। छात्रों ने कंस और कृष्ण के बीच की टकराव और अंततः कंस के वध की घटना को बड़े ही भावपूर्ण और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
नाट्य प्रस्तुति के दौरान, बच्चों ने अपने अभिनय कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन किया। कंस की क्रूरता और भगवान कृष्ण की वीरता को दिखाने वाले संवादों और दृश्यों ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस प्रस्तुति ने बच्चों में अभिनय कला के प्रति रुचि जगाई और उन्हें धार्मिक कथाओं के महत्व से भी अवगत कराया।
मटकी फोड़: बाल कृष्ण की लीलाओं का आनंद
जन्माष्टमी के उत्सव में मटकी फोड़ कार्यक्रम सबसे प्रतीक्षित था। यह खेल भगवान कृष्ण के बाल रूप की माखन चोरी की लीला को दर्शाता है। स्कूल में बच्चों ने ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ने के लिए अपनी टीमों का गठन किया। इस दौरान बच्चों ने अपने शारीरिक कौशल और एकजुटता का प्रदर्शन किया।मटकी फोड़ प्रतियोगिता में, बच्चों ने पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंचने की कोशिश की। दर्शकों के बीच उत्साह चरम पर था, और जैसे ही मटकी फूटी, पूरे स्कूल में हर्षोल्लास का माहौल छा गया। इस खेल ने न केवल बच्चों में खेल भावना का विकास किया, बल्कि उन्हें श्रीकृष्ण की लीलाओं से भी जोड़ दिया।
उत्सव के दौरान, झांकी, डांडिया नृत्य और मटकी फोड़ के अलावा, कई अन्य प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का समापन प्रसाद वितरण और पुरस्कार वितरण के साथ हुआ।
स्कूल के प्रधानाचार्य ने छात्रों और शिक्षकों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी और उनकी मेहनत और समर्पण की प्रशंसा की। प्रधानाचार्य ने अपने संदेश में कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास होता है, जो उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।